क्या ? आज मेरे जीवनकाल का आखिरी दिन है ? नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं नौकरी , बच्चों की ज़िम्मेदारी , परिवार की देखभाल , सब बाकी है कुछ दिलों में अपनेपन के एहसास जगाना बाकी है कुछ प्रियजनों को गले लगाना बाकी है तो कुछ से माफ़ी माँगना बाकी है अपने कटु शब्दों के लिए पश्चाताप के आंसू बहाना भी बाकी है नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं सोचा था रोज़ाना प्रभु स्मृति में चंद मिनट ज़रूर बिताएंगे रोज़ाना एक अच्छी आदत अपनाएंगें रोज़ाना नहीं तो कभी कभी तो ज़रूर किसी रोते को हसांयेंगें पर ये क्या ? आज मेरे जीवनकाल का आखिरी दिन है ? नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं हम किन झमेलों में उलझे रहे ? रोज़ाना बस दौड़ते ही रहे ‘समय नहीं है’ ऐसा बहाना अक्सर दोस्तों को लगाते गए सुबह नौकरी पर पहुँचने की दौड़ तो शाम को घर वापसी की दौड़ कभी दोस्त की बड़ी गाड़ी से जलन , तो कभी अपना घर न होने की कसक अभी तो इस जलन व् कसक को मिटाना बाकी है प्रभु नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं कई रूठों
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