क्या ? आज मेरे जीवनकाल का आखिरी दिन है ?
नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ
अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं
नौकरी , बच्चों की ज़िम्मेदारी , परिवार की देखभाल , सब बाकी है
कुछ दिलों में अपनेपन के एहसास जगाना बाकी है
कुछ प्रियजनों को गले लगाना बाकी है तो कुछ से माफ़ी माँगना बाकी है
अपने कटु शब्दों के लिए पश्चाताप के आंसू बहाना भी बाकी है
नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ
अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं
सोचा था रोज़ाना प्रभु स्मृति में चंद मिनट ज़रूर बिताएंगे
रोज़ाना एक अच्छी आदत अपनाएंगें
रोज़ाना नहीं तो कभी कभी तो ज़रूर किसी रोते को हसांयेंगें
पर ये क्या ? आज मेरे जीवनकाल का आखिरी दिन है ?
नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ
अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं
हम किन झमेलों में उलझे रहे ?
रोज़ाना बस दौड़ते ही रहे
‘समय नहीं है’ ऐसा बहाना अक्सर दोस्तों को लगाते गए
सुबह नौकरी पर पहुँचने की दौड़ तो शाम को घर वापसी की दौड़
कभी दोस्त की बड़ी गाड़ी से जलन , तो कभी अपना घर न होने की कसक
अभी तो इस जलन व् कसक को मिटाना बाकी है प्रभु
नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ
अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं
कई रूठों को मनाना बाकी है , अपनी हंसी पर्यावरण में बिखेरना बाकी है
एक दुर्लभ कला – शांत रहने की कला —सीखना बाकी है
और मेरी खुद की इच्छाएं …..उनका क्या ?
संगीत सीखने की इच्छा , बेझिझक बेवजह नाचने की इच्छा
दुनिया भ्रमण की इच्छा…..
एक अच्छा लेखक बनने की इच्छा ……
सभी तो बाकी है
अपने दिल की आवाज़ सुनना अभी बाकी है
नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ
अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं
बूढ़े माँ बाप का आशीर्वाद लेने के समर्थ होना बाकी है
फिर से बच्चा बनकर बारिश में नहाना बाकी है
रंग बिरंगी तितलियों के पीछे भागना बाकी है
जो धार्मिक पुस्तकें खरीद रखी हैं उनका अनुसरण भी बाकी है
अरे ! दिल दस्तक दे रहा है कि खुलकर खिलखिलाना भी तो अभी बाकी है
नहीं नहीं प्रभु ऐसी शीघ्रता मत दिखाओ
अभी तो बहुत से कार्य बाकी हैं
अभी तो कई यादगार लम्हे जीना बाकी है
This post is a part of Write Over the Weekend, an initiative for Indian Bloggers by BlogAdda.’
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