रात के 1 बजे , सेंट्रल मॉल की पार्किंग तकरीबन खाली हो चुकी थी I अंत में जब सिक्योरिटी गार्ड अजय घर जाने लगा तो एक चीख ने उसके पाँव रोक दिए I
चारों ओर सन्नाटा और बीच में बारीक सी घुटी हुयी चीख , अजय झट से इधर उधर हड़बड़ाहट में भागकर देखने लगा , दिल की धड़कन बढ़ गयी , माथा पसीने से भर गया I
दूर एक कोने में एक बड़ी सी काले रंग की गाड़ी खड़ी दिखी , गाड़ी के अंदर से कुछ शंकादायी आवाज़ें आ रही थीं I
गाड़ी के पास जैसे ही पहुंचा तो देखा अंदर दो आदमी और एक लड़की , जिसका उसी के स्कार्फ़ से मुँह बंद कर दिया गया था I लड़की ने आशावान निगाहों से अजय को देखा I
” हेलो, हेलो , सर जल्दी यहाँ पांचवी मंज़िल पार्किँग पर आ जाईये , यहाँ कुछ लोग बहुत गलत हरकत कर रहे हैं ” अजय ने अपनी सिक्योरिटी टीम के मुखिया को फोन मिलाकर कहा I
” नौकरी करनी है या परिवार को भूखे मरते देखना है ? जो होता है होने दे , तेरी ड्यूटी ख़तम हो चुकी है , चुपचाप घर चला जा ”
कई साल बीत गए हैं पर आज भी यदि अजय कोई काले रंग की गाड़ी देखता है तो उसके मन में दहशत भरी चीख उठती है और उसे झंझोड़ कर रख देती है I
linking this post to #fridayfotofiction with Tina and Mayuri
I am taking part in WriteTribe #writetribeproblogger challenge October 2017
This piece of fiction was featured the best in the week Oct 13-18 ,2017
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