Happy Republic Day
26 जनवरी 1950 को भारत ( India) का संविधान अस्तित्व में आया । देश को गौरवशाली स्वतंत्र गणतांत्रिक राष्ट्र बनाने में बहुत से देशभक्तों ने बलिदान दिया । उन्हें याद करने का , उन्हें नमन करने का पर्व है 26 जनवरी। अपनी मातृभूमि को प्यार करने, उसे स्वच्छ रखने व उसकी सेवा करने का पर्व है 26 जनवरी । हो सकता है हम सब अलग अलग धर्मों से संबंध रखते हों पर हम सब सांझे तौर पर भारतीय हैं । तो हम सभी को एक सांझी डोर में बांधकर सदा कोशिश करनी चाहिए कि हमारा भारतवर्ष सदा समृद्धि व उन्नति की राह पर अग्रसर रहे ।
हमारे राष्टीय पर्व गणतंत्र दिवस Republic Day पर आज मैं आपके साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिये गए भाषण के कुछ अंश शेयर करना चाहूंगी ।
पंडित जवाहरलाल नेहरू जी द्वारा दिया गया भाषण —-Tryst with Destiny
Pandit JawaharLal Nehru’s speech
भारत 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ । आज़ादी की पूर्वसंध्या पर यानी 14 अगस्त 1947 की शाम को पार्लियामेंट में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक भाषण दिया था ” Tryst with Destiny ” , जिसे 20वी सदी का एक महान भाषण माना जाता है ।
“Tryst with Destiny ” का अगर हिंदी में अनुवाद किया जाए तो इसका अर्थ होगा “नियति से साक्षात्कार” । इस भाषण में पंडित जवाहर लाल नेहरू आज़ाद होने जा रहे भारत की तुलना एक ऐसी आत्मा से कर रहे हैं जो वर्षों से शोषण का शिकार थी , पर अब जल्द ही उस आत्मा को चैन की सांस आने वाली है । वो घुटी घुटी सी भारत माँ अब अपने मन की बात कह पाने में समर्थ होगी ।
कुछ ही क्षणों में आज़ाद होने जा रहे भारत की तुलना एक ऐसे सितारे से की है जो बहुत देर से किन्ही काले बादलों में घिरा हुआ था पर अब वह सितारा उदय होने जा रहा है । पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने भाषण में ऐसी इच्छा , ऐसी उम्मीद प्रकट करते हैं कि इस सितारे की रोशनी अब कभी फीकी न पड़े , यह सदा उज्ज्वल रहे ।
आईये इस भाषण “Tryst with Destiny ” के कुछ मुख्य अंश पढ़ते हैं । अंग्रेज़ी भाषा मे दिए गए इस भाषण का मैंने हिंदी में अनुवाद करने का भी प्रयत्न किया है ।
“Tryst with Destiny ” —– “नियति से साक्षात्कार “
Long years ago , we made a trust with Destiny and now ,the time has come when we shall redeem our pledge .
कई वर्षों पहले हमने नियति को मिलने का एक वचन दिया था और अब समय आ गया है कि हम उस वचन को निभाएं ।
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Today , India will awake to life and freedom. A moment which comes but rarely in history , when we step out from the old to the new , when an age ends ,and when the soul of a nation, long suppressed , finds utterance.
आज भारत जीवन व स्वतंत्रता की नई सुबह के साथ उठेगा । एक ऐसा क्षण जो इतिहास में बहुत कम आता है , जब हम पुराने को छोड़ नए की ओर जाते हैं , जब एक युग का अंत होता है और जब वर्षों से शोषित देश की आत्मा अपनी बात कह सकती है ।
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At this solemn moment , we take the pledge of dedication to the service of India and her people and to still the larger cause of humanity .
इस पवित्र मौके पर हम समर्पण के साथ सारे भारत व उसकी जनता की व उस से भी बढ़कर मानवता की सेवा की प्रतिज्ञा लेते हैं ।
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We end today a period of ill fortune and India discovers herself again . The achievement we celebrate today is but a step , an opening of opportunity to the greater achievements that await us.
आज हम दुर्भाग्य के युग का अंत कर रहे हैं और भारत खुद को फिर से खोज पायेगा। आज हम जिस उपलब्धि का जशन मना रहे हैं वो महज एक कदम है नए अवसरों के खुलने का । इससे भी बड़ी उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं।
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The future is not of ease or rest but of incessant striving . The service of India means service of millions who suffer . It means ending of poverty , ignorance , disease and inequality of opportunity.
भविष्य आरामदायक नही है , हमे विश्राम नही करना है बल्कि निरंतर प्रयास करना है । भारत की सेवा का अर्थ है उन लाखों करोड़ों पीड़ित लोगों की सेवा करना । गरीबी व अज्ञानता को मिटाना । बीमारी व अवसर की असमानता को मिटाना ।
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The ambition of greatest man of our generation has been to wipe every tear from every eye. That may be beyond us , but as long as there are tears and suffering so long our work will not be over.
हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही महत्वाकांक्षा रही है कि हर एक आंख से आंसू मिट जाए । शायद यह संभव न हो पर जब तक लोगों की आंख में आंसू हैं और वे पीड़ित हैं तब तक हमारा काम खत्म नही होगा ।
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We have to labour to give reality to our dreams. These dreams are not only for India , but they are for world. Peace has been said to be indivisible , so is freedom ; so is prosperity and so is disaster. This one world can no longer be split into isolated fragments .
हमे मेहनत करनी होगी ताकि हम अपने सपनों को जीवन दे सकें । ये सपने न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए हैं । शांति को विभाजित नही किया जा सकता , इसी तरह स्वतंत्रता व समृद्धि को भी व विनाश को भी । पूरे विश्व को छोटे छोटे टुकड़ों में नही बांटा जा सकता ।
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Today is a fateful moment for us in India and for the world. A new star rises , the star of freedom , a new hope comes into being , a vision long cherished materializes. May the star never set and that hope never be betrayed.
आज हमारे लिए सौभाग्य का क्षण है , न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए । एक नए तारे का जन्म हुआ है , स्वतंत्रता का तारा , एक नई आशा का जन्म हुआ है, कई वर्षों से चाही गयी दूरदृष्टता अस्तित्व में आई है । काश यह तारा कभी अस्त न हो , यह आशा कभी अविश्वसनीय न हो ।
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The future beckons to us . Whither do we go and what shall be our endeavour? To bring freedom and opportunity to the common man , to fight and end poverty , to build a prosperous ,democratic and progressive nation .
भविष्य हमे बुला रहा है । हमे किधर जाना चाहिए और हमारे प्रयास क्या होने चाहिए ? जिससे हरेक आम नागरिक को स्वतंत्रता व अवसर मिले , गरीबी दूर हो व एक समृद्ध लोकतांत्रिक व प्रगतिशील देश का निर्माण पूर्ण हो सके ।
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We have to work hard . We are citizens of a great country on the verge of bold advance and we have to line up to that standard . All of us , to whatever religion we may belong , are equally the children of India. We cannot encourage communalism or narrow-mindedness, for no nation can be great whose people are narrow in thought or in action.
हमे कड़ी मेहनत करनी होगी । हम सभी एक महान देश के नागरिक हैं जो प्रगति की कगार पर है और हमे उस उच्च स्तर को पाना है । हम सभी चाहे जिस धर्म से हों भारत की संतान हैं । हम साम्प्रदायिकता व संकीर्ण सोच को बढ़ावा नही दे सकते क्योंकि कोई भी देश तब तक तरक्की नही कर सकता जब तक उसके नागरिकों के विचार व कर्म संकीर्ण हों ।
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To India , our much loved motherland , we pay our reverent homage and we bind ourselves again afresh to her service.
हम अपनी प्यारी मातृभूमि को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और एक जुट होकर नए सिरे से इसकी सेवा का प्रण लेते हैं ।
Jai Hind !
जै हिन्द !
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