क्या कांच का यह सेतु , नारी शक्ति को नहीं दर्शा रहा ???
दिखने में तो कांच जैसी नाज़ुक है नारी , पर अंदर से लोहे सी मज़बूत है नारी ।
दिखने में तो कांच जैसी पारदर्शी है नारी , पर अंतर्मन में नाजाने कितने राज़ समेटे हुए है नारी ।
जैसे इस कांच को कई यातनाओं से गुज़ारकर सुदृढ़ बना दिया गया है , वैसे ही जीवन के संघर्षों से गुज़रकर निर्भीक बन गयी है नारी ।
कांच की दृढ़ता व नारी की क्षमता , दोनों को ही परखा जा रहा है आज ।
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