कैफ़े में अकेली बैठी राधा , कॉफ़ी के साथ साथ लैपटॉप पर काम करती हुई , 5 मिनट में 10 बार बॉस का फोन आ चूका था ” राधा , प्रेजेंटेशन त्यार नहीं हुई अभी तक , नहीं कर सकती तो नौकरी छोड़ क्यों नहीं देती ?
सुनते ही राधा उदासीन हो गयी ” जाने ज़िंदगी में अभी और क्या क्या छोड़ना बाकी है ?
रमन जाने कहाँ ज़िन्दगी से ओझल हो गया था I कई सालों के प्यार भरे एहसासों को स्वाहा होने के लिए मात्र एक ही क्षण लगता है क्या ?
यूँ ही तो बैठे थे हम , हाथ में हाथ डालकर , प्यार प्यार में ऐसा तीक्ष्ण प्रश्न पूछा था उसने ” राधा , ये बच्चा हमारा ही है क्या ? ”
सुनते ही मैं तो भौचक्की रह गयी थी
” अगर है भी तो अभी नहीं चाहिए मुझे , तुम आज ही डॉ के पास जा के इस मुसीबत को छोड़ क्यों नहीं देती ?
सुनकर आँखों में ज्वाला , ह्रदय में तूफ़ान तो भयंकर उठा था पर मैंने भी बहुत शांत स्वर में पूछा था ” तुम ही क्यों नहीं छोड़ देते मुझे ? ”
आज कैफ़े में सामने टेबल पर बैठे पति पत्नी को देखते हुए , कॉफ़ी की गर्म चुस्की लेते हुए यादों का पन्ना आँखों के आगे लहलहा गया था I
linking the post with Mayuri and Tina
taking part in Writetribe #writetribeproblogger challenge October 2017
read my #writetribe post about the words of an unborn girl child
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