जीवन का हर पड़ाव अपने साथ अलग प्रकार की चुनौतियां( challenges) लेकर आता है । शायद हमारा जीवन बना ही चुनौतियों के लिए है । आखिर देखा जाए तो ये चुनौतियां ही तो हैं जो हमे आगे बढ़ते रहने का व कुछ नया सीखते रहने का साहस, उत्साह प्रदान करती हैं , जैसे कि दीपा गांधी व डॉक्टर अमृता हमे #Mondaymommymoments में नए नए विषयों पर लिखने की चुनौती देते रहते हैं।
आप खुद सोचिये यदि किसी भी काम मे कोई चुनौती न हो तो ज़िन्दगी थम सी नही जाएगी? जीवन नीरस नही हो जाएगा ?
इसलिए चुनौतियां जीवन मे महत्वपूर्ण हैं । ये चुनौतियां हमे हमारे असल व्यक्तित्व से मिलाने में भी मदद करती हैं , हमारे अंदर बहुत से कौशल , प्रतिभाएँ छिपी (talents )हुई हैं जो चुनौतियां द्वारा उजागर होती हैं ।
मातृत्व अपने साथ ढेरों चुनौतियां लेकर आता है, जिनका स्वाद ही अलग है । आंसुओं का तो जैसे मातृत्व के साथ जन्म जन्म का रिश्ता है । ये आंसू प्यार के व चिंता के , दोनों ही प्रकार के होते हैं ।
आप माँ बनने वाली थीं तब आपको जरूर लगा होगा कि शायद यही सबसे बड़ी चुनौती है , एक नन्ही सी जान को जन्म देना । पर बाद में पता चला कि असली चुनौतियाँ तो माँ बनने के बाद शुरू होती हैं ।सोचने लगो तो ये अनगिनत हैं , पर उनमें से कुछ खास के बारे में लिख रही हूं ।
1. Health and Safety of the child
एक माँ के हृदय में अपने बच्चे की सेहत व सुरक्षा का ख्याल हर समय बना रहता है , चाहे वह कुछ महीनों का शिशु हो या adult हो गया हो । उम्र के अनुसार बच्चे की सुरक्षा को लेकर माँ के मन मे अलग अलग भय बने रहते हैं । बच्चे ने कुछ खाया ? हम में से कई working mom हैं और बच्चे को creche में छोड़ते हैं , तो शाम तक आपको अपने कार्यस्थल पर ये चिंता रहती है की वहां बच्चे का ठीक से ख्याल रखा जा रहा होगा या नही ? बच्चे को रात को ठीक से नींद आयी होगी ? उसके स्कूल या कॉलेज में कोई छेड़छाड़ तो नही करता होगा ? आजकल तो न्यूज़ में ऐसी ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं कि यदि आप बेटी की माँ हैं तो आपका दिल कई बार दहल उठता है ।
2. Making the child bold , strong and positive
आजकल के युग मे कमज़ोर बनकर रहना मुमकिन ही नही है । अगर मैं अपनी बेटी के बारे में कहूँ, मेरी बेटी बहुत sensitive है ।ज़रा सी बात पर उसका चेहरा उतर जाता है , चाहे वह स्कूल के होमवर्क संबंधित हो , किसी दोस्त ने उसको चिढ़ाया हो , या मैंने डांट दिया हो । इतनी छोटी छोटी बातों पर आंखें भर जाती हैं उसकी । मेरा मन ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि बड़ी होकर बेटी कैसे survive कर पायेगी ? आज के युग मे bold बनकर रहना समय की ज़रूरत बन गया है ।
घर गृहस्थी में किस परिवार में कोई समस्या नही होती ? हर एक के परिवार में व जीवन मे उतार चढ़ाव, ख़ुशी गम , positive and negative , सभी तरह के पल आते हैं । पर सबसे challenging होता है कि इन सभी पलों का आपके बच्चे पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े । चाहे मैं कभी कभी अंदर से emotionally upset हूं पर हमेशा कोशिश रहती है कि बेटी को कोई negative एहसास न हो , उसकी जिंदगी सदा positive विचारों से भरी रहनी चाहिए । आखिर उस कली ने तो अभी खिलना है और पूरे बगीचे में महकना है ।
3. Is the real ‘ME’ lost somewhere ?
हर माँ हर संभव कोशिश करती है कि मातृत्व की चुनौतियों पर खरी उतर पाए । मैं भी इसी कोशिश में रहती हूँ पर ये सब करते करते कभी कभी लगने लगता है कि क्या मेरा खुद का व्यक्तित्व कहीं खो गया है ? क्या मैं केवल एक माँ हूँ ? केवल माँ की नज़रों से देखते देखते हम शायद केवल एक इंसान के तौर पर संसार को देखना भूल जाते हैं । हमारी अपनी खुद की इच्छाएं कभी कभी मातृत्व तले दबकर रह जाती हैं। माँ का role निभाते निभाते हम अपने साथ कुछ ज़्यादा सख्त व्यवहार करने लगते हैं, और motherhood के चक्कर मे womanhood कहीं backseat ले लेता है ।
तो चलिए इसे भी एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं । आईये अपने दिल की सुनते हैं , कुछ समय केवल अपने लिए निकालते हैं , आखिर ये समय सिर्फ हमारा अपना होगा जिससे हमारा व्यक्तित्व निखरेगा और यदि हम as a woman निखरते हैं तो निश्चित रूप से as a mom भी निखरेंगे ।
जिस वक्त मैं यह post लिख रही थी उस समय सामने बैठी मेरी बेटी Rubik’s cube से खेल रही थी । दिमाग मे झट से विचार आया की motherhood भी Rubik’s cube की ही तरह तो है । सभी faces को एक साथ हल करना एक जादू जैसा है । यदि एक face हल हो भी जाये तो बाकी बिगड़े रूप में ही रहते हैं । उन बिगड़े faces को हल करना चाहो तो जो पहले एक face हल किया होता है वो फिर से बिगड़ जाता है । कुछ ऐसा ही है मातृत्व । इसके सभी challenge एक साथ सही ढंग से निभाने काफी मुश्किल हो जाते हैं , पर इन सब चुनौतियों (challenges )को निभाते निभाते जो रंग हमारी दुनिया मे बिखरते हैं वे अनमोल हैं।
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