जैसे किसी चौराहे पर आ गयी ज़िन्दगी
पहला रास्ता खुद की तरक्की व आत्मनिर्भरता की ओर ले जाता है , तो दूसरा रास्ता परिवार की ख़ुशी की ओर
कोशिश की ताकि दोनों रास्ते एक साथ चल पाएं …..पर ऐसा जब मुमकिन होता दिखाई नही दिया , तो तीसरा रास्ता अपनाना बेहतर समझा मैंने
ऐसा रास्ता , जिसमें
कभी प्यार कर लिया तो कभी तकरार हो गयी
कभी आत्मसम्मान पर भी समझौता कर लिया , तो कभी हठ से तुम्हें मना लिया
मुझे नौकरी करके घर चलाने की तो इजाज़त मिल गयी पर , “ज़्यादा हवा में मत उड़ो ” ऐसा भी सुनाया गया
कभी अपने अरमानों का गला घोंट दिया तो कभी तुम्हारी हँसी में ही खुश हो ली
कई बार मन आवाज़ देता है कि मुझे तो उस चौथे रास्ते पर जाना था न ?? — “मेरी असली ख़ुशी का रास्ता” ??
Writing for #fridayfotofiction with Tina and Mayuri
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