गंगा , यमुना , सरस्वती , कृष्णा , कावेरी , इन सब से तो आप परिचित ही हैं । ये हैं हमारे भारत की नदियाँ , जो सदियों से हम सब की रक्षा करती आ रही हैं । नदियां हमारे पर्यावरण का एक मुख्य अंग हैं । अब कई कारणों से हमारी नदियों को काफी क्षति पहुंच रही है । कुछ खतरे के कगार पर हैं और कुछ नदियाँ हद से ज़्यादा अस्वच्छ हो गयी हैं । हमारी प्रमुख नदी गंगा को सबसे अधिक खतरा है ।
हमारी नदियाँ सूख रही हैं ।
अगले कुछ सालों में हमारी पानी की ज़रूरत कैसे पूरी हुआ करेगी ?
1947 से लेकर अब तक पानी की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 75% कम हो गयी है ।
गंगा नदी
गंगा नदी भारत मे एक विशाल भाग को सींचती है । इससे बहुत से लोगों की धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई है । इसे माँ की तरह पूजा जाता है । इस नदी में कई प्रकार की प्रजातियां भी पाई जाती हैं । इसके पानी मे विशेष विषाणु पाए जाते हैं जो हानिकारक जीवाणुओं को मार देते हैं । इसके पानी मे ब्रह्मदव होने की बात एक वास्तविक तथ्य है । तभी तो इसका पानी बोतलों में भर कर रखने पर भी कई वर्षों तक खराब नही होता । पर आज हमारी गंगा मैया प्रदूषित हो चुकी है । इसलिए गंगा व अन्य नदियों को बचाने की सख्त जरूरत है ।
प्रदूषण
गंगा नदी के प्रदूषित होने के कई कारण हैं । बढ़ती आबादी , industrialization के कारण गंदा पानी , मल निकास और industries के व्यर्थ पानी जो chemically polluted हैं, वे सब पदार्थ गंदे नालों से होते हुए गंगा में आ गिरते हैं । लोग आस्था के नाम पर पता नही क्या क्या बहाते रहते हैं नदियों में । कई जगह तो गंगा नदी का पानी इतना गंदा हो चुका है कि यह पीने के लिए ही नही बल्कि नहाने के योग्य भी नही रहा ।
मेरा त्रिवेणी संगम पर अनुभव
2 साल पहले हम सोमनाथ धाम गए । वहीं पास ही त्रिवेणी संगम है , जहां 3 नदियों का मेल होता है । हिन्दू धर्म मे मान्यता है कि त्रिवेणी पर स्नान करने से आप अपने पिछले पापों से मुक्त हो सकते हैं । हम भी पहुंच गए वहां । वहां का पानी इतना ज्यादा गंदा दिखाई दे रहा था , पर फिर भी हमने सोचा चलो अब पाप तो धो लें , पानी मे घुस गए , पर वो अनुभव भुलाये नही भूलता । घिन्न आती है उसे याद करके भी । हमारे पांव में न जाने क्या क्या चिपक रहा था , जाने आस्था के नाम पर क्या क्या गिराया गया होगा वहां ?
Save Ganga
गंगा नदी के संरक्षण के लिए पहले भी सरकार द्वारा कई प्रयास किये जा चुके हैं । करोड़ो रुपये का बजट बनाया गया है । लेकिन जनता की भागीदारी की कमी के कारण कहीं न कहीं कमी रह ही जाती है । नदी किनारे रहने वाले लोग , तीर्थयात्री , नदी को प्रदूषित करने वाले उद्योग , हम सब यदि रोज़मर्रा के व्यवहार में बदलाव नही लाएंगे तो सफलता कैसे मिलेगी ?
#rallyforrivers
अब एक नया अभियान शुरू किया गया है #rallyforrivers , इस अभियान का मकसद ये जागरूकता फैलाना है कि हमारी नदियाँ किस हद तक कमज़ोर हो गयी हैं । हर कोई , जो पानी का उपयोग करता है , उसे इस अभियान (campaign ) में ज़रूर भाग लेना चाहिए ।
इस अभियान से जुड़ने के लिए missed call दें , 80009 80009 पर । अधिक जानकारी के लिए आप विजिट करें
rallyforrivers.org इस अभियान को सार्थक बनाने के लिए साधगुरु वासुदेव खुद कन्याकुमारी से हिमालय तक जायेंगें।
नदियों के आसपास वृक्ष ही वृक्ष
इस अभियान में नदियों के आसपास 1 किलोमीटर के दायरे में वृक्ष लगाने का विचार है । दरअसल नदियों में मुख्य तौर पर वर्षा से ही पानी आता है । जब मानसून खत्म हो जाता है तो कई नदियाँ सूख जाती हैं । वृक्ष पानी को अपने अंदर समेट लेने में काबिल होते हैं । इसलिए अगर नदियों के आसपास बड़ी तादाद में वृक्ष होंगे तो वे पानी को समेट कर रखेंगे व यही पानी साल भर नदियों में धीरे धीरे निस्तार होता रहेगा । इसके कुछ अन्य फायदे होंगे जैसे:-
*वातावरण बदलाव का सामना करने में मदद मिलेगी ।
*पानी और मिट्टी की quality बढ़ेगी ।
*Underground water level ठीक रहेगा ।
*अगर फलों के वृक्ष लगाए जाएंगे तो गरीब किसानों की आय भी बढ़ेगी ।
आप की 80009 80009 पर की गई हर मिस्ड कॉल वृक्ष लगाने के लिए सहमति दर्शाएगी ।
#rallyforrivers के तहत स्कूली बच्चों के लिए प्रतियोगिता
इस अभियान के तहत स्कूल के बच्चों के लिए भी एक प्रतियोगिता रखी गयी है , जिसमे क्लास 5 से 7 तक के बच्चे हिस्सा ले सकते हैं। एक छोटा सा 40 शब्दों का लेख लिखना है जिसका टॉपिक है Saving Rivers : India’s lifelines इस मे भाग लेने की last date 27 Sept है ।
तो चलिए हम और आप भी इस अभियान से जुड़ें और अपने हिस्से का कम से कम एक कदम तो ज़रूर उठाएं #rallyforrivers नदियों को बचाने के लिए । मैं तो 80009 80009 पर मिस्ड कॉल दे चुकी । क्या आप ने दी ??
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