तेनालीराम 16 वीं सदी के एक तेलगु कवि थे । उनका जन्म भारत के आंध्रप्रदेश राज्य में हुआ था ।उनका बचपन का असली नाम रामकृष्ण था ।उन्हें विकटकवि के नाम से भी जाना जाता है । तेनालीराम को उनके हास्य व्यंग्य के लिए जाना जाता है । तेनालीराम जब उम्र में छोटे ही थे तो उनके पिता का देहांत हो गया था । उसके बाद तेनालीराम अपनी माँ के साथ अपने ननिहाल के गांव तेनाली में रहने चले गए थे । तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय के दरबार मे हास्य कवि के पद पर कार्य करते रहे और उनका नाम राजा के दरबार के अष्टदिग्गज़ों में आता है । राजा के दरबार के बाकी सभी दरबारी उनसे ईर्ष्या करते थे और हमेशा इस ताक में रहते कि कैसे तेनालीराम को महाराज की नज़रों में गिराया जाए पर तेनालीराम हर बार अपनी बुद्धि और व्यंग्य के दम पर महाराज के दिल के और करीब आ जाते थे । तेेनालीराम की बुद्धि व चातुर्य को दर्शाती अनेक कहानियां हैं जिनमे से कुछ नीचे दी जा रही हैं।
तेनालीराम और बैंगन का भरता Tenali Raman stories in hindi
महाराज कृष्णदेव राय के बगीचे में एक खास किस्म के बैंगन उगाये जाते थे जो कि एक बहुत ही दुर्लभ जाती के थे और उनका भरता बहुत स्वादिष्ट बनता था व महाराज को अत्यंत प्रिय था । एक बार महाराज ने अपने दरबार मे भोज किया जिसमें उन बैंगनों से बना भरता भी परोसा गया । तेनालीराम भी उस भोज में शामिल थे । उन्हें भी वह भरता बहुत स्वाद लगा और उन्होंने घर आकर उसका ज़िक्र अपनी पत्नी से भी किया । पत्नी भी बात सुनकर भरता खाने की इच्छा प्रकट करने लगी । तेनालीराम ने कहा कि यह संभव नही हो सकता क्योंकि महाराज के बगीचे से बैंगन चुराना मुमकिन नही , वहां सदा पहरेदार तैनात होते हैं । पकड़े जाने पर सज़ा भी हो सकती है । पर पत्नी के ना मानने पर तेनालीराम को जाना ही पड़ा ।
रात के अंधेरे में तेनालीराम महाराज के बगीचे से बैंगन चुरा लाये । पत्नी ने उनका भरता बनाया । वह अपने 6 साल के बेटे को भी वो स्वादिष्ट भरता खिलाना चाहती थी पर तब तक बेटा घर की छत पर जाकर स्कूल का ग्रहःकार्य करते करते थक कर सो चुका था । पत्नी ने तेनालीराम से कहा कि वो किसी प्रकार कोई हल निकाले ताकि उनका बेटा भी भरता चख सके ।
तेनालीराम ने अपनी बुद्धि को दौड़ाया और पानी की एक बाल्टी लेकर छत पर गया । उसने जाते ही पानी की बाल्टी बेटे पर उड़ेल दी । जब बेटा घबराकर उठा तो तेनालीराम ने कहा ” जल्दी उठो, बारिश हो रही है , नीचे चलो और भोजन करो ” नीचे पहुंचकर तेनालीराम ने बेटे के कपड़े बदले और उसे चावल और बैंगन का भरता खाने को दिया । बेटे ने भी खूब आनंद लिया महाराज के बगीचे के बैंगनों से बने भरते का । भोजन के बाद सब सो गए ।
सुबह हुई तो सब ओर शोर था कि महाराज के बगीचे से बैंगन चोरी हो गए हैं । महाराज को क्रोध आया और उन्होंने चोर को पकड़वाने में मदद करने वाले के लिए इनाम की घोषणा कर दी । दरबार के मुख्य सलाहकार को तेनालीराम पर शक हुआ और उसने महाराज को भी इस बारे में कहा । महाराज ने तेनालीराम को पकड़ कर लाने का आदेश दे दिया । तेनालीराम को दरबार मे लाया गया और उससे बैंगन चोरी होने के बारे में पूछा गया । तेनालीराम ने बड़े मासूम अंदाज़ में कहा कि वह इस बारे में कुछ नही जानता । बाकी सभी दरबारियों ने सलाह दी कि तेनालीराम झूठ बोल रहे हैं , उनके बेटे से पूछताछ की जानी चाहिए । बच्चे कभी झूठ नही बोलते ।
तेनालीराम के बेटे को दरबार मे लाया गया । उससे पूछा गया कि पिछली रात उसने क्या सब्जी खाई थी , तो बच्चा बोला – महाराज , आपके बगीचे के बैंगनों का भरता बनाया था माँ ने ,बहुत स्वादिष्ट था । सभी दरबारी मन ही मन खुश हो गए कि अब तेनालीराम को महाराज सज़ा देंगे । तभी तेनालीराम बोले ” महाराज , ये तो छोटा बच्चा है , जो भी सपने में देखता है उसे हकीकत समझ लेता है , शायद कल सपने में इसने भरता खाया होगा । “
महाराज ने फिर बच्चे से प्यार से पूछा “ बेटा , कल तुमने स्कूल से आकर क्या क्या किया था ? ” बच्चा बोला ” महाराज , स्कूल से आकर थोड़ी देर खेलने के बाद मैं छत पर चला गया था , वहीं स्कूल का गृहकार्य किया और वहीं सो गया । पर जब ज़ोर से बारिश होने लगी तो पिताजी ने मुझे उठाया और नीचे ले गए । नीचे जाकर मैंने कपड़े बदले और भोजन में बैंगन का भरता खाया । “
ये सब सुनकर महाराज और अन्य सभी दरबारी अचंभित हुए क्योंकि पिछले कल तो कोई बारिश नही हुई थी । सभी को विश्वास हो गया कि बच्चा सचमुच सपने में देखा हुआ बयान कर रहा था । तब महाराज को यकीन हो गया कि तेनालीराम ने कोई चोरी नही की । उसे छोड़ दिया गया ।
तेनालीराम ने अपनी बुद्धि का उपयोग करके एक कठिन परिस्थिति को संभाल लिया था । हालांकि कुछ दिन बाद उसने महाराज को सब सच्चाई बता दी ।
तेनालीराम व सोने के आम Tenali Raman stories in hindi
महाराज कृष्णदेव राय की माँ की बरसी थी । महाराज की माँ को आम खाना बहुत पसंद था । बरसी के दिन महाराज ने अपने दरबार के पुरोहितों के सामने इच्छा जाहिर की कि उन्हें अपनी माँ की आत्मा की शांति के लिए क्या करना चाहिए । सभी पुरोहितों को ये अच्छा मौका लगा धन बटोरने का।
सभी पुरोहितों ने आपस मे सलाह करके महाराज को सलाह दी कि उन्हें सोने के आम दान में देने चाहिए, तभी उनकी दिवंगत माँ को शांति मिलेगी । महाराज ने उनकी बात मान ली और 108 ब्राह्मणों को शुद्ध सोने के आम बांटे गए ।
तेनालीराम को जब इस बारे में पता चला तो उनकी समझ मे आ गया कि पुरोहित महाराज को लूटने के प्रयास में हैं।
कुछ दिन बाद तेनालीराम ने मुख्य पुरोहित को बुलाया और कहा कि वह अपनी दिवंगत माँ की याद में कुछ दान करना चाहते हैं । मुख्य पुरोहित मन ही मन अति प्रसन्न हुए और अन्य पुरोहितों को लेकर तेनालीराम के घर पहुंच गए । तेनालीराम ने महाराज कृष्णदेव राय जी को भी आमंत्रित कर लिया था ।
जब सब आ गए तो तेनालीराम ने सोने की गरम सलाख निकाली और सभी पुरोहितों से कहा ” मेरी माँ के पैर में फोड़ा था जो केवल गरम सलाख से ठीक हो सकता था । ” इसलिए उनकी दिवंगत माँ के फोड़े का दर्द खत्म करने के लिए सभी को सोने की गर्म सलाख से जलाया जागेगा ।
सभी पुरोहित घबरा गए और उन्होंने महाराज को शिकायत की । पर महाराज पहले ही सब समझ चुके थे की तेनालीराम पुरोहितों को सबक सिखाना चाह रहे थे । महाराज हँसने लगे। उन्होंने तेनालीराम का धन्यवाद किया ।
तेनालीराम का गधे को दंडवत प्रणाम करना Tenali Raman stories in hindi
महाराज कृष्णदेव राय के दरबार मे बहुत से बुद्धिमान मंत्री थे और एक राजसी शिक्षक थे , थताचार्य । वे वैष्णव धर्म के अनुयायी थे , जो भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। वे आदि शंकराचार्य द्वारा शुरू किए गए समर्थ समाज के खिलाफ थे । जब भी वे राजसी शिक्षक अपने घर से बाहर निकलते तो अपना चेहरा ढक लेते ताकि उन्हें किसी समर्थ के दर्शन न हो जाएं । ऐसा करने से सभी समर्थ समाज के लोग नाखुश थे , वे सभी उस राजसी शिक्षक को सबक सिखाना चाहते थे पर डरते भी थे । काफी सोच विचार के बाद उन्होंने तेनालीराम को इस काम के लिए चुना ।
इसी बीच महाराज कृष्णदेव राय को भी इसकी भनक लग गयी कि थताचार्य बाकी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं । महाराज खुद थताचार्य को कुछ कहने में सक्षम नही थे क्योंकि थताचार्य पिछले बहुत सालों से महाराज के दरबार मे पारिवारिक सदस्य की तरह कार्य कर रहे थे । महाराज ने तेनालीराम को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कहा ।
अगले दिन तेनालीराम खुद थताचार्य के पास गए और कुछ देर बाद जब थताचार्य घर से बाहर निकलने लगे तो उन्होंने हर बार की तरह अपना चेहरा ढक लिया । तेनालीराम ने इसका कारण जानना चाहा। तब थताचार्य जी बोले ” सुनो तेनालीराम मैं तुम्हे एक रहस्य की बात बताता हूँ। ये सब समर्थ समाज के लोग पापी हैं , जो भी इनका दर्शन करता है उसे अगले जन्म में गधा बनना पड़ता है । इसीलिए मैं घर से निकलते समय अपना चेहरा ढक लेता हूं । तुम इस रहस्य को रहस्य ही रखना , किसी को बताना मत “
तेनालीराम ने हाँ में हाँ मिलाई और चल पड़े । उनके दिमाग मे थताचार्य को सबक सिखाने का विचार आ चुका था , बस सही मौके का इंतजार था।
कुछ दिन बाद महाराज कृष्णदेव राय अपने अष्टदिग्गज़ों व कुछ अन्य दरबारियों के संग राज्य से थोड़ा दूर घूमने निकले। वहां से वापसी पर दूर से गधों का एक झुंड आता दिखाई दिया । तेनालीराम को मौका मिल गया । वे दौड़कर उस गधों के झुंड की ओर दौड़े और जाकर उन्हें दंडवत प्रणाम करने लगे । सभी लोग हैरान परेशान हो गए कि ये तेनालीराम क्या कर रहे थे । महाराज चिल्लाये ” तेनाली , ये क्या कर रहे हो , पागल हो गए हो ?”
तेनालीराम बोले ” महाराज, मै पागल नही हुआ, ये गधे तो हमारे राजसी शिक्षक थताचार्य जी के पूर्वज हैं , इन्होंने पिछले जन्म में समर्थ समाज के लोगों का दर्शन कर लिया था जिसके फलस्वरूप इनको गधे का जन्म मिला है , तभी तो थताचार्य जी भी सदा अपना चेहरा ढक कर चलते हैं कि कहीं उन्हें भी अगले जन्म में गधा न बनना पड़ जाए “
महाराज ने थताचार्य की ओर दृष्टि दौड़ाई , पर वो तो शर्म से सिर झुककर खड़े थे। उस दिन के बाद थताचार्य को अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने लोगों की भावनाओ को ठेस पहुंचाना बन्द कर दिया । महाराज ने तेनालीराम की सूझबूझ और चातुर्य से प्रभावित होकर उन्हें सम्मानित किया ।
तेनालीराम की कहानियां हमे हास्य हास्य में बुद्धि के सही इस्तेमाल व कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शिक्षाएं देती हैं। आजकल
SAB टीवी पर तेनालीराम सीरियल भी चल रहा है जो बड़ों व बच्चों , सब के लिए एक मनोरंजक कार्यक्रम है।
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