खूब चहल पहल थी, कोई अपना बैग पैक कर रहा था, कोई अपनी किताबें इकट्ठी कर रहा था , कोई लाइब्रेरी की किताबें वापिस करने गया था, कोई कैंटीन के dues दे रहा था , कोई एक दूजे से लिया उधार चुकता कर रहा था , कोई अपने दोस्तों के फोन नंबर व् address नोट कर रहा था ,सब व्यस्त थे और बेहद खुश भी ….आखिरी दिन था हमारा उस शहर में , उस कॉलेज में , उस हॉस्टल में ….अगले दिन सभी हॉस्टल students को अपना अपना room खाली करके अपने अपने घर लौटना था.. घर जाने की ख़ुशी इतनी थी कि सभी कुछ न कुछ गुनगुनाते हुए अपने काम निबटा रहे थे …….
शाम को सब सहेलियां free होके एक ही कमरे में इकठ्ठे बैठ गयीं…
नेहा बोली— शुक्र है यार …पढ़ाई ख़त्म हुई , कल से आराम से अपने घर पर रहूंगी …मम्मी के हाथ का खाना खाउंगी …..वाह …आनंद आ जायेगा….पंखे की ओर देखती हुयी और घर पहुँचने के सुंदर ख्यालों में बोली “Home Sweet Home ”
मैंने कहा — हाँ यार , घर से बाहर रहना कोई आसान काम नहीं है . Thank GOD, It’s our last day here .
नीतू बोल पड़ी — Yes !! No more home sickness !
रजनी अपनी हरियाणवी भाषा में बोली— “पढ़ाई, पढ़ाई, पढ़ाई, दिमाग का भरता बन गया था …म्हारे तो नाक में दम कर दिया था इस पढ़ाई ने ”
नविता भी मुस्कुराकर बीच में बोली –“सबसे बड़ी बात , हॉस्टल के रामु भैया की पकाई पानी वाली भिंडी भी नहीं खानी पड़ेगी अब”
पल्लवी को भी मज़ाक सूझा — ” पर यार… Verma sir का boring lecture बहुत याद आएगा ”
सभी अपनी अपनी टिप्पणियों से हॉस्टल छोड़ने और वापिस घर जाने की ख़ुशी को अपने अपने ढंग से ब्यान करने में लगे थे .
हॉस्टल की उस आखिरी शाम को celebrate करने के लिए सबने इकठ्ठे maggi खायी , खूब गप्पें लड़ाई और जैसा कि हम अक्सर किया करते थे , बाल्टी को ढोलक बनाकर खूब गीत संगीत किया , रजनी हरियाणा का ताऊ बनकर खूब मज़े लगाती थी .
ये गीत संगीत और गप्पों का दौर सुबह 3 बजे तक चलता रहा और फिर नींद ने दिमाग पर काबू कर लिया.
सुबह 10 बजे तक सब नाश्ता करके त्यार हो गए और अपना अपना सामान एक जगह इकठा करके रख लिया . सब अपने अपने parents से phone पर पूछने लगे कि वे कितने बजे तक पहुंचेंगे . सबका घर दूर दूर था ..किसी का घर दिल्ली, किसी का अमृतसर , किसी का चंडीगढ़ , कोई जयपुर का रहने वाला तो कोई हरियाणा के रोहतक का ..
11 बजे सबसे पहले नेहा के पेरेंट्स पहुँच गए उसे लेने . वो ख़ुशी से उछलने लगी और भाग कर अपने पापा के गले लग गयी ” पापा….I love you …”
मैं और बाकी सब सहेलियां नेहा का सामान उठाकर उसकी कार में रखने में मदद करने लगे.
पर….. ये क्या…? ये अचानक से क्या हो रहा था …मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी थी ….प्रतीत हो रहा था जैसे आंसूं अभी छलके कि अभी छलके…दिल कह रहा था “मेरी प्यारी नेहा जा रही है ? मुझे छोड़कर ? फिर कभी मिलेगी भी या नहीं ?”
अपने आप को किसी तरह संभाला और नेहा को bye बोलकर हॉस्टल वापिस आ गयी .अकेली बैठ गयी गुमसुम सी …
तभी नेहा दौड़ती हुयी आयी मेरे पास ” जाने से पहले गले नहीं लगेगी क्या ?”
जिन आंसुओं को दबाकर रखा हुआ था आखिर वो छलक ही पड़े . …नेहा भी इतनी भावुक थी ये नहीं जानती थी मैं …
” यार …ये पढ़ाई ख़त्म क्यों हो गयी ? मुझे नहीं जाना घर…मैं हॉस्टल का ही खाना खा लूंगी ” ऐसा कहकर और लिपट गयी मुझसे …
हम दोनों को देखकर बाकी सहेलियां भी आ गयीं . सब एक दूजे के गले लगकर रोने लगे . कोई नहीं जानता था कि क्या हो रहा है .. हॉस्टल में एक साथ बिताये 2 साल के वक़्त में दिलों में इतना गहरा सम्बन्ध बन गया था जैसे कि कोई पुराने जन्म का रिश्ता हो ….ऐसा खूबसूरत रिश्ता कि कोई किसी को छोड़कर नहीं जाना चाहता था…
सबके मन में शायद एक सा ही एहसास था कि वो प्यारे पल जिनमे एक साथ हंसना , रोना, झगड़ना , पढ़ना ,खेलना , ये सब शामिल था ,वो पल हमेशा के लिए हाथ से छूट रहे थे ….
हम सब को यूँ गले लगकर रोता देख नेहा के पेरेंट्स की भी ऑंखें भर आयी .
नेहा के पापा नम आवाज़ में बोले ” God bless you all बच्चों ”
आंटी ने कहा ” Your college may have ended , but memories will last forever ”
सबके लिए मुश्किल घडी बन गयी थी वो … अचानक से सब लोग जो घर जाने के दिन का उत्सुकतावश इंतज़ार कर रहे थे, उन सब में अलग सा बदलाव नज़र आ रहा था…सब चाहते थे कि पढ़ाई खत्म ही न हो , चाहे पानी वाली भिंडी खाकर ही क्यों न काम चलाना पड़े…
एक गहरा रिश्ता बंध गया था सब के बीच , वो रिश्ता जो आत्मा से जुड़ा था …मन चाह रहा था कि ज़िंदगी इस hostel life पर ही थमकर रह जाये ..
“यह कॉलेज कि पढ़ाई इतनी जल्दी क्यों खत्म हो गयी यार ?” नेहा बोली
नीतू कहने लगी –” ये दिल भी कितना पागल है न ..पहले Home sickness होती थी और आज hostel sickness महसूस हो रही है ”
तभी रजनी अपने हरियाणवी अंदाज़ में बोली ” इतना क्यूँ रोन लाग री हो तुम सब की सब , किसी का देहांत हो गया के ?”
उसकी बात सुनकर सबकी हंसी छूट गयी
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