DR SONAL MANSINGH
भारत की एक महान classical dancer हैं Dr. Sonal Mansingh . इन्होने Bharatnatyam और Odissi dance को बहुत ऊंचाइयों तक पहुँचाया . इन्हे कई बड़े बड़े awards जैसे padmabhushan , sangeet natak academy award , padma vibhushan award , कालिदास सम्मान ….आदि मिल चुके हैं. इन्होने अपने जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखे पर अपने passion को जारी रखा. इनका जीवन हमे प्रेरणा देता है
2002 में इनके जीवन के ऊपर एक documentary film भी बनी जिसका नाम था “Sonal”……. …इन्हे mythology पड़ने का शौक था और इन्होने mythology पर आधारित कई dance choreographies की जैसे की ” देवी दुर्गा ” “द्रौपदी ” आदि
आईये इनकी जीवन के कुछ मुख़्य अंश इन्ही के मुख से सुनें:—-
” I WANT TO DANCE “
मेरा जन्म 1944 में एक गुजराती परिवार में हुआ …हम 3 भाई बहन हैं. दो बहने और एक भाई ………मैंने 7 साल की उम्र से ही bharatnatyam सीखना शुरू कर दिया था और पढ़ाई के साथ साथ कई साल सीखती रही ….जब मैंने graduation पूरी कर ली तो परिवार में सवाल उठा ” आगे क्या करना है ?” विदेश जाकर पड़ना है या IAS की तयारी करनी है या शादी कर दें ? मैंने झट से उत्तर दिया ” I WANT TO DANCE “ सब स्तब्ध रह गए ….परिवारवाले समझाने लगे के dance को as hobby अपमी अगली पढ़ाई के साथ साथ जारी रख सकती हो पर मैंने कहा नहीं, “I WANT TO DANCE “…. सब रिश्तेदार दोस्तों ने भी परिवारवालों से यही बात कही के यह फैसला ठीक नहीं है पर मेरा फैसला अटल था … मैं डांस की आगे की ट्रेनिंग के लिए banglore चली गयी
MY MARRIAGE
1964 में एक dance festival के दौरान मेरी मुलाकात Lalit Mansingh से हुई .उस समय मुझे वो बहुत शर्मीले और एक बहुत प्यारी सी मुस्कान वाले इंसान लगे जिनकी और मैं आकर्षित हो गयी थी
1965 में मेरी शादी Lalit Mansingh से हो गयी… मेरे ससुर डॉ मायाधर मानसिंघ एक बहुत अच्छे इंसान और बहुत बड़े educationist थे ..उन्होंने एक दिन मुझसे कहा ” तुमने बहुत bharatnatyam किया है अब odissi dance भी सीखो ” वो मुझे odissi dance guru के पास ले गए और बोले ” ये मेरी बहु है इसे ओडिसी डांस सिखाईये ” मेरे ससुर मुझे रोज़ डांस क्लास के लिए खुद लेकर जाते और पूरा समय वहीँ बैठे रहते…… मेरे मन में उनके लिए बहुत आदरभाव है
मैं dance करती गयी और 1968 में मुझे राष्ट्रपति भवन में national film festival के दौरान dance performance देने का मौका मिला और उस event के बाद मुझे सारा देश जानने पहचानने लग
TWIST IN MY LIFE ………..I GOT DIVORCED
जीवन ने एक पलटी मारी …मेरा Lalit Mansingh से तलाक हो गया …मैं उस वक़्त केवल 31 साल की थी…… कई friends और relatives का असली रूप सामने आया जब उन्होंने मुझसे मुँह मोड़ लिए ……. divorce के बाद आपके अपने parents भी आपको अलग नज़रिये से देखने लगते हैं …….पर मेरे मन में अब भी वो ललक थी
I WANT TO DANCE I WANT TO DANCE I WANT TO DANCE
जब जीवन में कोई रिश्ता टूट जाता है तो आप अंदर से टूट जाते हैं….. पर………. मेरे dance ने मुझे बिखरने नहीं दिया मेरा dance ही मेरी strength बना
IT SEEMED IT WAS MY LIFE’S END
जीवन ने एक और भयंकर पलटी मारी…1974 में कुछ ऐसा हो गया की लगा जैसे मेरा डांस ,मेरी ज़िन्दगी जल्द ही चकनाचूर हो जाएगी ……मेरा accident हो गया ….रात का वक़्त था बारिश हो रही थी….. तभी अचानक से सड़क पर एक जानवर आ गया….. और तेजी से आ रही गाड़ी पर जब अचानक ब्रेक लगायी गयी तो गाड़ी पलट गयी ……..मैं गाड़ी के बाहर गिर गयी और बेहोश हो गयी ……..कई महीने bed पर रहना पड़ा
जब कोई छोटीसी बीमारी भी आपको घेर लेती है तो आप बहुत emotional हो जाते हैं… मेरे इस accident ने मुझे काफी emotional कर दिया था ….कई हड्डियां पसलियां और collarbone टूट गयी थी …..
पर वो ललक अब भी ज़िंदा थी
I WANT TO DANCE
लोगों को तो लगने लग पड़ा था के अब तो SONAL कभी नहीं नाच पायेगी
काफी समय बाद डॉक्टर्स ने पाया के मेरे दो vertebrae आपस में जुड़कर bridge का काम करना शुरू कर चुके थे …कुदरत मेरा साथ दे रही थी …….शायद वो भी यही चाहती थी that i dance
MY WILLPOWER FOR MY PASSION……
मैं अपनी willpower से दोबारा DANCE performance देने के लिए त्यार हो गयी ……accident के बाद जब मेरा पहला DANCE performance हुआ तो बहुत भारी संख्या में लोग देखने आये…… क्युकी सब हैरान थे के इसकी तो हड्डियां टूट गयी थी ये दोबारा कैसे नाचेगी…….लोग देखकर हैरान थे …मैं भी…
1977 में मैंने “Centre for indian classical dances ” establish किया जो की कई साल मेरे दिल्ली के घर के garage में ही चलता रहा…. बाद में इसे सरकार द्वारा स्थान दिया गया
DANCE ही मेरी ज़िंदगी है…… मेरेजीवन में कई उतार चढ़ाव आये पर मैंने कभी अपने आप को गिरने नहीं दिया……. क्यूंकि
I WANT TO DANCE
Dr Sonal Mansingh के जीवन से हमे प्रेरणा मिलती है के हमे अपने पैशन के लिए जीजान से जुटे रहना चाहिए ………मुझे स्वामी विवेकानंद की quote याद आ रही है ” Awake Arise and stop not till the goal is reached ”
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