दोनों एक ही कमरे में रहते थे……खूब बातें करते ….दोनों में दोस्ती हो गयी …..कमरे में सिर्फ एक खिड़की थी …..उस खिड़की से एक दोस्त को तो बहुत नज़ारे दिखाई देते थे पर दूसरे दोस्त को बिलकुल कुछ नहीं ….ऐसा क्यों ?……….ऐसा क्या ख़ास था उस खिड़की में?लीजिये पढ़िए …..
हॉस्पिटल के एक कमरे में रघु नाम का मरीज admit था …उसका bed खिड़की के पास था …सारा दिन वो खिड़की से बाहर देखता रहता…….. दुसरे दिन उसी के कमरे में एक और serious मरीज राम को admit किया गया …..राम बिलकुल हिलजुल नहीं सकता था और इस वजह से काफी depressed रहता था ….राम और रघु में दोस्ती हो गयी..
रघु खिड़की से बाहर देखकर बाहर के दृश्यों को बयान करके राम को सुनाने लगा…बाहर लोग क्या कर रहे हैं …कोई कार में आ रहा है …कोई पैदल है….ठंडी हवा चल रही है…..आसमान में बदल छाए हैं …….पेड़ों से पत्ते गिर रहे हैं ……..पक्षी चहचहा रहे हैं….इस तरह खिड़की से बाहर की सुंदरता बयान करके वो राम का मन बहलाता रहता…..रघु रोज़ ऐसा करता ताकि राम थोड़ी देर के लिए अपनी बीमारी भूल जाये….
लेकिन कुछ दिन बाद राम को धीरे धीरे जलन होने लगी की वो खुद खिड़की के बाहर के नज़ारे नहीं देख पा रहा ….उसे मन ही मन रघु से इर्षा होने लग गयी…..
एक दिन रघु को अचानक दिल का दौरा पड़ गया और उसे सांस लेने में बहुत मुश्किल होने लगी….राम ने जानबूझ कर न किसी को मदद के लिए आवाज़ लगायी और न ही help button दबाया जो उसके bed के पास ही लगा था ……चंद मिंटो में रघु की मौत हो गयी….
राम ने नर्स को कहकर अपना bed खिड़की की तरफ लगा देने के लिए कहा ताकि वो भी खिड़की के बाहर के सुन्दर नज़ारे देख सके….
लेकिन ये क्या….???जैसे ही राम ने खिड़की से बाहर देखा तो वहां तो सिर्फ एक बड़ी सी दिवार थी जिसके आरपार कुछ भी नहीं दिख रहा था….वो सारे कुदरत के नज़ारे जो रघु सुनाता था वो कहाँ गए….न कोई पेड़ न पत्ते न पक्षी न कोई लोग…..
राम अंदर से हिल गया…..उसके पैरों तले ज़मीन निकल गयी
दरअसल रघु तो सिर्फ अपनी imagination से राम का दिल बहलाने के लिए उसे सुन्दर दृश्यों का अनुभव करा रहा था …..शायद सिर्फ इसलिए की राम के दिल को मुश्किल समय में कुछ सुकून मिले ….वो तो सिर्फ अपने दिल की खिड़की से अपने मित्र को ख़ुशी बाँट रहा था………………
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