Mothers Day …एक ऐसा दिन जो दुंनिया की हरेक माँ को समर्पित है……यह हर साल मई महीने के दुसरे रविवार को मनाया जाता है …..माँ कुदरत का एक अद्भुत करिश्मा है ..….माँ का हरेक इंसान की ज़िन्दगी में बहुत महत्त्व होता है……
मेरे मन में भी आज माँ के बारे में बहुत से विचार हैं जो मैं आपसे सांझे करना चाहूंगी
बचपन से लेकर आज तक माँ से एक अटूट रिश्ता रहा …..वो प्यार….. वो दुलार ….वो एहसास….. ….कोई काम हो बस माँ के पास चले जाओ ….अगर कोई
भी फ़िक्र है ,परेशानी है ,दुःख है ,किसी भी तरह की कोई problem है बस माँ के पास जाओ ….माँ के पास जाते ही माँ का वो प्यार से गले लगा लेना भर ही काफी होता था चिंता को दूर करने के लिए …..शायद उस गले लगा लेने में लाखों ही दुआएं होती होंगी….कई बार तो बिन कहे भी मेरी परेशानी को भांप लेती थी माँ ………कई बार परेशान मैं थी और रोती माँ थी….लगता था ये क्या? माँ क्यों रो रही है ?
बचपन में बिन वजह ही दिन में कई कई बार माँ को गले लगते रहना ……..चूमते रहना ……..उनको प्यार से “मेरी प्यारी माता ” कहते रहना …….सब याद आता है ……घर में घुसते ही पापा से पूछना ” मम्मा कहाँ है ?” …अभी तक याद है …..हर छोटी से छोटी बात में बस माँ चाहिए ….
खाना चाहिए …मम्मा ….मेरी ड्रेस कहाँ है मम्मा…..book नहीं मिल रही मम्मा………चलो न shopping चलें मम्मा…….आज movie ले चलो न मम्मा……..आज मैं friends के साथ पार्टी पर जा रही हूँ पापा को मत बताना मम्मा…………पेट दर्द हो रहा है मम्मा……हर बात में मम्मा चाहिए …..जाने कैसे हर मर्ज की दवा होती है माँ…..
जैसे ही स्कूल छूटा और कदम जवानी में पड़े तो कई बार किसी बात पर माँ से बहस हो जाती….गुस्से में मेरा माँ को बोलना “आपको तो कुछ पता ही नहीं मम्मा “…..और माँ का बस चुप हो जाना …..अभी तक याद है मुझे….
पढ़ाई पूरी हुयी और कुछ साल बाद शादी हो गयी….शादी के 1 साल बाद conceive किया तो कुदरत के करिश्मे का एहसास मुझे भी हुआ…….एक नन्ही जान का अपने शरीर के अंदर अनुभव…..वो एहसास….वो एक दूजे के लिए प्यार…..दुलार ….ममता………बार बार अपने पेट को छूकर नन्ही जान को feel करना ….उससे प्यार जताना ….दुआएं देना….यह सब करिश्मा नहीं तो क्या है…..तब एहसास हुआ की असली प्यार की शुरुआत मातृत्व से ही होती है …..पर कुछ problem की वजह से वो रिश्ता जो नन्ही जान से अभी पूरा नहीं जुड़ा था ……ख़तम हो गया ….नन्ही जान दुनिया में न आ सकी…….मन ही मन आंसुओं की धारा बह निकली …..हालांकि दूसरो को दिखने के लिए बहुत bold बनकर बैठी थी मैं…….सब याद है मुझे….
दो साल बाद भगवान् ने फिर कुदरत के करिश्मे का आशीर्वाद दिया और मैं एक बेटी की माँ बन गयी….माँ बनने का वो एहसास तो बयान ही नहीं कर सकती…..वो पहली बार उसको बाँहों में लेना ……उसको निहारने भर से इतने असीम आनंद की प्राप्ति हुई की आंसुओं की धारा फिर से बह निकली…..शायद मन इतना आनंद समेट ही नहीं पाया……….सच में असली प्यार की शुरुआत मातृत्व से ही होती है ………….
घर में बेटी की एक ख़ास खुशबु है जिससे सारा घर महकता रहता है …वो हंसती है तो घर चहकता है….सब खुश हो जाते हैं …….और अगर उसको कोई छोटी सी भी परेशानी आ जाये तो दिल मेरा बैठने लगता है……माँ का role निभाते निभाते अब धीरे धीरे जान पा रही हूँ की मेरी माँ को भी किस प्रकार की feelings होती होंगी….अभी तो बेटी इतनी छोटी है पर फिर भी अभी से कई बार उसके विवाह का विचार मन में आने लगता है ……मेरी बेटी चली जाएगी ? मुझे छोड़कर ? किसी और के घर ? इतना सोचते ही दिल की धड़कन बढ़ जाती है ……फिर सोचती हूँ की मेरी माँ की धड़कन भी क्या ऐसे ही बढ़ी होगी ?….माँ का असली महत्त्व आज समझ आ रहा है ……वो कई बार नादानीवश जो माँ को तकलीफ पहुंचाई तो उनके दिल पर क्या बीती होगी यह भी समझ आ रहा है…….असल में माँ का असली अर्थ मैंने तब से समझना शुरू किया जब मैं खुद माँ बनी……
आज इतने विचार उमड़ रहे हैं कि (पहली बार )कुछ कविता रूपी पंक्तियाँ लिख रही हूँ :—
माँ का अर्थ आया समझ………….. खुद माँ बनने के बाद
माँ थी तो रोज़ गर्म गर्म खाना खिलाती थी…….
अब तो औरों को गर्म खिलाकर मैं ठण्डा ही खा लेती हूँ………… खुद माँ बनने के बाद ………..
माँ थी तो कभी परांठे कभी छोले कभी गुलाबजामुन कभी ढोकले
अब तो मैं सूखी रोटी से भी काम चला लेती हूँ ………..खुद माँ बनने के बाद …
माँ थी तो कभी चिंता किसी बात की न थी
अब तो मैं चिंताओं से घिर गयी हूँ …………..खुद माँ बनने के बाद ……..
माँ का अर्थ आया समझ………….. खुद माँ बनने के बाद
माँ थी तो रात में नींद कितनी गहरी आती थी………….
अब तो बार बार उठकर घडी की ओर देखती हूँ …….खुद माँ बनने के बाद ………
माँ थी तो मेरे नखरे भी उठाती थी
मैं यह नहीं खाउंगी, यह नहीं पहनुंगी..
अब मैं बाक़ी परिवार के नखरे उठाती रहती हूँ………. खुद माँ बनने के बाद …..
माँ थी तो अपनी बाहों में लेकर थपकियाँ देकर सुलाती थी
अब तो रात को दिन भर के काम से थक कर ही सो जाती हूँ ……खुद माँ बनने के बाद ………
माँ का अर्थ आया समझ………….. खुद माँ बनने के बाद
माँ जैसा इस दुनिया में कोई नहीं हो सकता ….ठीक ही कहा है ” भगवान् हर जगह नहीं हो सकते थे इसीलिए उन्होंने माँ बनाई ”
दुनिया की सारी mothers को उनके प्यार ,उनके दुलार, उनके निस्वार्थ प्रेम ,उनके sacrifices के लिए शत शत नमन!!!!!!!
हरेक माँ ने ऐसी ही कुछ भावनाएं ज़रूर अनुभव की होंगी …..आप भी हमसे माँ से सम्बंधित कुछ भावनाएं ज़रूर शेयर कीजिये ……
Wish u all a very HAPPY MOTHER’S DAY…….
Take care….
write@alubhujia.com
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